क्या हम अपनी नैतिक जिम्मेदारी खो चुके हैं ?


India has the highest incidence of acid attacks in the world and a rape reported every 15 minutes in India
Acid Attack

उम्मीद है आपको इंग्लिश में लिखे गए वाक्यों का मतलब अपनी मातृभाषा में समझ में आया होगा। और मुझे आशा हैं, आप सभी भारतवासियों को फ़क्र महसूस हो रहा होगा। हमें मज़ा तो तब आता हैं जब कभी किसी लड़की या औरत के बलात्कार की खबर अख़बार में छपती हैं और ये मज़ाक की बात नहीं है, हम हमेशा ऐसी खबरों को बड़े मज़े से पढ़ते हैं तभी तो अख़बार वाले उसे छापते हैं। सच्चाई को दुनिया के सामने रखने वाली बात अब नहीं रहीं। हमने बचपन से बड़े होने तक हजारों  बार स्कूलो में भारतीय प्रतिज्ञा को दोहराया हैं की सारे भारतीय मेरे भाई और बहनें हैं। स्कूल तक तो ठीक हैं पर हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं ये ही भाई दुश्मन लगने लगते हैं। ये ही बहनें हमारे लिए कुछ और हो जाती हैं। सभी लड़कियों या महिलाओं के साथ हमारा दुर्व्यव्यवहार हमें उस हद तक पहुँचा देता हैं,  जहां हमें इंसान तो क्या जानवर भी कहलाने का हक़ नहीं रह जाता। ये बात बिल्कुल समझ के परे हैं की इस देश के युवा तो ऐसा करते ही हैं; बड़े बुजुर्ग भी कुछ कम नहीं। आपको ये पढ़कर शर्म होगी की हमारे यहाँ इस दुर्व्यव्यवहार की सिमा इस हद तक बढ़ जाती हैं की हम किसी स्कूल, कॉलेज की लड़कियों तो छोड़ो किसी पडोसी की २ साल की बच्ची को भी नहीं छोड़ते। हँसी-मज़ाक तक ठीक हैं, पर किसी पर बलात्कार कैसे किया जा सकता हैं?  २ या ५ साल की बच्चियों के साथ बलात्कार ??  क्या अब भी आप को अपने इंसान होने पर ख़ुशी हो रही है?  किसी लड़की या महिला  के ना करने पर  उसके चेहरे को एसिड से बदसूरत करना कहाँ  का भाईचारा हैं ?  

भारत ने एसिड हमलों की संख्या में बांग्लादेश को पीछे छोड़ दिया हैं।  सवाल ये नहीं की हमने किसको पीछे छोड़ा या हमें किसी ने पीछे छोड़ा।  सवाल तो वही हैं की, हम अगर इतने सुसंस्कृत हैं और हमारी संस्कृति इतनी महान हैं तो हम इतने घिनौने काम के बारे में कैसे सोच सकते हैं ? क्या हमारी अपनी बहनों या माँ के अलावा दूसरे के माँ - बहनों का हमारे लिए कोई अस्तित्व नहीं हैं। शायद नहीं होगा इसीलिए हम किसी भी लड़की या महिला पर बलात्कार या उस पर तेज़ाब फेंकने के लिए हिचकिचाते नहीं हैं। यही वजह हैं हमारे पुरे भारत देश में महिलाएं आज जिस कदर डरी हुईं हैं की उसे दूसरे जग़ह तो डर लगता ही हैं उसे कभी कभी तो अपने ख़ुद के मोहल्ले से गुज़रते हुए भी डर लगता हैं। और इसे डर नहीं ख़ौफ़ कहना ज्यादा उचित हैं। आप की अपनी ख़ुद की लड़की ज़रा देर से घर में पहुँचती हैं तो क्या तब भी आप सुकून से साथ घऱ में बैठे रहते हैं ? अगर नहीं तो आप को किस बात का डर होता हैं ? उसके मोबाइल पर बात ना हो तो किस बात का ख़ौफ़ आपको सताता हैं ? अगर ये ख़ौफ़, डर आपको सताता हैं या उसे आप महसुस करते हैं तो यकीन मानिये यही डर दूसरों को भी सताता होगा।  अगर आप अपने घर की  लड़कियों या महिलाओं की सलामती चाहते हो तो दूसरे भी ज़रूर चाहते होंगे। जैसा आप दूसरे पर भरोसा नहीं कर सकते वैसे ही दूसरे कैसे आप पर भरोसा कर ले। आप की अपनी माँ - बेटियाँ घर सुरक्षित तभी आ सकती हैं जब आप किसी दुसरो की बेटियों को सही सलामत घर तक पहुँचाये।  

हम हर साल हजारों सालो से रक्षा बंधन का त्यौहार मनाते हैं। बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उससे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।  पर ये रक्षा का वचन ख़ुद के लिए क्यों ? क्यों नहीं कोई लड़की अपने भाई से ये कहती हैं की मेरी रक्षा के साथ साथ दूसरे बाकी बहनों की भी रक्षा करना। क्या हमने सिर्फ़ अपनी बहनों की  ही रक्षा करने का ठेका ले रखा हैं ? और अगर हम ऐसा मानते है और ऐसा करते हैं तो हमारा रक्षा बंधन पूरी तरह से ढकोंसला हैं। फिर हमारा रक्षा बंधन किसी पाखंड से कम नहीं। हो सकता हैं ये शब्द शायद आपको काँटे की तरह चुभतें हो।  लेकिन दुर्भाग्य से हमें सिर्फ़ ऐसे शब्दों से ही चिढ़ आती हैं क्योंकी, अगर हमें वास्तविकता से सच में चिढ़ होती तो शायद ही कभी किसी लड़की या महिला से ऐसा घिनौना व्यवहार होता। असल में हम मरी हुई कौम हैं, जिसका अब कोई मूल्य नहीं रहा। अगर होता तो क्या आप किसी के बलात्कार की ख़बर यु मीडिया में दिखाते ? ख़बर देखने वाला हर इंसान मज़े से ख़बर का मज़ा लेता हैं क्योकि उसका अपना कोई शिकार नहीं हुआ हैं शायद इसीलिए। लेकिन अगर कभी हो जाये और ये हो सकता हैं क्योकि हमने सारी संभावना ही इस कदर बना के रखी हैं। उस वक़्त क्या आप चाहेंगे की दूसरे भी आपके साथ हुए अत्याचार की ख़बर का मज़ा लें।   

अब तो हमारे देश में लड़कियों पे बलात्कार या एसिड के हमलें जातिगत हो गए हैं। धर्मों - धर्मों में आपसी रंजिशें इस क़दर बढ़ गयी हैं की मोहल्ले से गुजरते वक़्त भी लड़कियों को डर लगता हैं। ये किस तरह की धार्मिकता हम निभा रहे हैं। ये कैसी मानसिकता को हमने गले लगाया हैं।  ये किस तरह की एजुकेशन हम लेकर चल रहे हैं। लड़कियों को अपना चेहरा ढँक के रहना पड़ता हैं तो जरूर वे किसी दहशत में हैं, वरना किस लड़की को अपनी ख़ूबसूरती को छुपाना पसंद होता। जिस देश की महानता की चर्चा पूरी दुनियाँ में होती हो लेकिन उसी देश में  ऐसे घिनौने काम होते हो, वो देश कैसे महान हो सकता हैं ? ये किसी के साथ भी इसलिए हो सकता है क्योकि हमने आपस में धर्म की, संप्रदाय की, जाती की, शिक्षा की दीवारे इतनी ऊँची बना रख़ी हैं कि हम किसी दुसरो को नहीं देख पाते। क्या सच में कोई दलित परिवार का लड़का किसी उच्च जाती की लड़की को ऐसे दुर्व्यवहार से बचाता हैं; क्या तब भी आपने धर्म को मानना चाहिए।  क्या कोई हिन्दू लड़का अगर किसी मुस्लिम के बेटी की इज्जत लूटने से बचाता हैं; क्या तब भी संप्रदाय को मानना चाहिए ? हाँ अगर आप उस वक्त भी छुआछुत को या ऐसे दक़ियानूसी  बातों को मानते हैं तो इस तरह के हमले हम सब के साथ होंगे, इसे  कभी भी ख़त्म नहीं किया जा सकता। 

लेकिन ऐसा नहीं हैं की ये सारे हादसे किसी धर्म, संप्रदाय, जाती  के वजह से ही होते हैं। भारत देश में सभी घरों में लोग सिर्फ और सिर्फ अपनी माँ बहनों की रक्षा करने के लिए तत्पर रहते हैं, पर यही तत्परता हम दुसरो के माँ बेटियों के लिए क्यों नहीं दिखाते ? हमारे घरों में शिक्षा तो दी जाती है लेकिन कोई ये जानने की कोशिश ही नहीं करता की हमारे सपूत बाहर जाकर क्या करते हैं ? हर किसी को अपना सपूत अच्छाई का पुतला नजर आता हैं। कोई अपने बेटे से कभी कोई सवाल नहीं पूछता की तेरी दिन भर की दिनचर्या क्या हैं? किसी लड़की का ज़रा सा लेट हो जाना आपको खटकता हैं। दुसरो की बहनों पर बलात्कार या एसिड अटैक करने वाले भी हमारे ही किसी घर की पैदाइश हो सकती हैं।  ऐसे किस्से अक्सर प्यार करने वाले युवा - युवती की बीच होने की संभावना ज्यादा रहती हैं।  प्यार करना बुरा नहीं हैं, लेकिन अगर आप सच में किसी से प्यार करते है तो ये आपका किस तरह का प्यार हैं जो किसी को बद्सूरत कर दे। हमारे लोग किसी लड़की के शरीर के इतने दीवाने होते हैं की सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं ? किसी स्त्री के शरीर के लिए सामूहिक बलात्कार ?? और ये सब करने वाले किसी बहनों के भाई तो जरूर होंगे। क्या अभी भी आपको खुद पे भाई या बेटा होने का अभिमान हैं ? किस राखी की लाज बचाने की आप कस्मे खाते हो ? कोई पुरुष, या युवक  फिर वो किसी भी धर्म, जात या संप्रदाय का हो अगर कहता हैं की मैने ऐसा नहीं किया या कहे की मै ऐसा नहीं करता तो देश में हो रहे बलात्कार, एसिड के हमले, स्कूल जाती बच्चियों के साथ  छेड़खानी कौन कर रहा हैं ? और सारे लोग ऎसे ही शराफत की चादर ओढ़े हुए अपनी शराफत दिखाते रहते हैं। वे सारे के सारे हमारी ही किसी बिरादरी से रहे हैं ? फिर क्या फर्क पड़ता हैं की हादसे दिल्ली में हो, उत्तर प्रदेश में हो या महाराष्ट्र में हो या और कही भी हो। औकात तो एक ही रहेगी। मजे तो सब लेते है साहब, चाहे वो मीडिया में पढ़कर हो या व्हाट्सप्प पर शेयरिंग कर के हो। क्योकि दुनिया में वही बिकता हैं जो दिखता हैं। चाहे वो फिर, कोई बदसूरत हो चुकी लड़की हो या बलात्कार पीड़िता हो ? हमारे लिए तो साहब बस इतना ही  काफी हैं की हमारी  बेटी, हमारी बहन, हमारी माँ आज घर सही सलामत पहुंच गयी, दूसरी नहीं पहुंची तो हमें क्या?

मेरी ये पोस्ट हो सकता हैं बहुतो को पसंद ना आये।  ये जानते हुये की ऐसी  बातों को आपने काफी बार पढ़ा होगा और ये  लिखने से कोई बहुत बड़ा परिवर्तन भी देश में आने वाला नहीं हैं। क्योकि परिवर्तन किसी दूसरे के द्वारा कभी नहीं आता। उसे लाने के लिए खुद परिवर्तित होना पड़ता हैं। ये पोस्ट उसी परिवर्तन को दिखाने का एक छोटासा प्रयास हैं। अगर आप सच में इससे प्रेरित हुए हैं तो इसे अपने दोस्तों के साथ तथा परिवार के साथ सामाजिक स्तर पर शेयर करे। आप हमसे जुड़ कर हमें प्रेरित करे ताकि हम खुद में परिवर्तन के स्तर को और ऊँचाई तक ले जा सके।  हो सकता हो हमारा यही परिवर्तन किसी दिन आप के काम आ जाये। आप अपने विचारो को बेझिझक हमारे कमैंट्स बॉक्स में लिख सकते हैं। आप के सूचनाओं से हमें ये महसूस होगा की आप निश्चित तौर पर इसके ख़िलाफ़ हैं और एक बेहतरीन परिवर्तन लाना चाहते हैं। पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। आपके मंगल और मृदुल जीवन के लिए सदैव शुभकामनाओं के साथ।  






















 


6 comments:

  1. aapke iss pramanik prayatna me hum sada apke saath hai.....

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    1. Thanks for your comments. It is appreciated that you are with us.

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  2. Volcanic subject to be discussed,
    Need to give solutions...

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    1. We are agree with your reply. LIFOMETRY encourage to discuss this subject in mass.

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  3. Very sensitive issue. Needs more awareness. Thanks for sharing. And keep writing 👍🏻

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    1. Thank you very much Sonaliji. We very much aware that this is social and sensitive issue. We condemn such incidents faced by females. We appreciating that as a female, you understand this issue and replied. Keep connected with us. Best Regards from LIFOMETRY.

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