चाहत का सुरुर


बाहर मौसम की बारिश से धरती की सोँधी - सोँधी सी खुसबू फ़ैल रहीं हैं, बिल्कुल तेरे प्यार की तरह। आँखों में बसी तुम्हारी धुंदली तस्वीरों को साफ़ करने की कोशिश करता रहता हु और बारिश में बिताये हुए अनकहे वक़्त को  यु ही  याद कर लेता हूँ।  तुम्हारा पहले बारिश का इंतज़ार अब भी मुझे याद हैं। मेरे दिल में तेरे प्यार की वो फुहार भी याँद हैं। उन्हीं धुंदली आँखों में कही छुपे हुये चाँद का उजाला भी याद हैं। मैंने अब भी कही, तेरे यादोँ के बादलों में उस चाँद को छुपा ऱखा हैं, जो चाँद कभी में दिल के महल में उतरा ही नहीं।  

तेरी यादों के बादल मन में कहीं दूर तक छाए हैं।  मैं अक़्सर उन्हीं बादलों के साये ढूँढ़ता रहता हूँ और सोचता हूँ, क्या कभी आँखों में भी इस तरह बरसात के  मौसम आते हैं ?  ऐसे बारिश के मौसम बहुत तड़पाते हैं क्योंकि ये तेरी चाहत का  सुरुर हैं जो अब भी दिल में बसा हैं, जो आँखों में बारिश बन कर बरसना चाहता हैं।  जी में आता हैं की,  दिल में दर्द की जिस चिंगारी तूने सुलगाया था उसमें अपने रोते मन कि सारी उलझने जला दू। तेरे ख़यालों के बादल अब मेरे यादोँ के महल पर छाने लगे हैं,  उन्हीं यादोँ का मुस्कान भरा चेहरा लेकर दिल के महल को सवारने में लगा हूँ।  क्या पता किसी रोज़ ये ही यादोँ के बादल बारिश बन कर में दिल के महल को डूबा न दे।  मैं डरता हु और बहोत डरता हु क्योंकी कच्चे मिट्टी सा हैं मेरे दिल का महल।  आँसू  भी शायद बादलों जैसे बेपरवाह हो गए हैं, जिन्हें अब  बरसने के लिये  मौसम की भी ज़रूरत  ही नहीं रहीं।   गुज़ारिश हैं, यादोँ  तुमसे, कुछ तो बरसने का  ख़याल करो।  

हो सकता है, शायद ये आँसू नहीं, कोई अनकही ख़्वाहिशें हो जो मेरे अंदर बारिश बन कर मेरे दिल के महल पर बरसते हैं।  शायद इसीलिए मन का बारिश से बहुत गहरा रिश्ता होता हैं। बारिश बिना कुछ कहे बस बरसती रहती हैं, लगता हैं इसका मिज़ाज भी तुझसा हो गया हैं। इस बारिश का एहसान बहुत है मुझ पर, इसने दुनिया से मेरे आँसुओं को छिपाया हैं।  एक दर्द से भरा बादल, जो बूँद बन कर बरस रहा हैं, उन्हीं बूंदों का रिश्ता धरती से और भी गहरा होता जा रहा है।  इसी रिश्ते की तड़प दिल में कहीं यु ही उठती रहती हैं। सोचता हूँ......... क्या बरसात की बूंदों को भी ऐसा दर्द होता होगा ? बरसात और आँखों का पानी तो दीवानों जैसे ही होते हैं, उन्हें क्या पता किस राह से गुजरना हैं, किस छत को भिगोना हैं ?  

चलो फिर से फूलों की तरह खिलतें हैं। चलो अबकी बारिश में फिर से एक बार हम तुम मिलते हैं।  इन राहों  को तेरा इंतज़ार रहेगा ....... लेकिन ज़रा संभलकर चलना, फ़िसलन भरी राहें हैं। तेरे इंतजार में, बारिश के दरमियाँ ख़्वाबों के रंग अब और भी खिलने लगे हैं।  पलकों में समाये बुँदे अब फूल से लगने लगे हैं।  तेरे मिलने की चाहत में सारी फिजाएं महक उठी हैं।  जाने ये बारिश की खुशबू  हैं या तेरे प्यार की।  





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