उम्मीद एक सोच से ज्यादा कुछ नहीं

 

ख़ुश होना और ख़ुशी की तलाश करना दो अलग़ अलग़ चीजें है। ख़ुशी का मतलब हमें तब समझ में आता है जब जीवन में उदासी आ जाती है, जब जीवन का कोई विशेष अर्थ नहीं रह जाता। अक्सर जो चीज़ हमारे पास नहीं होती उसी की हमें तलाश होती है। हो सकता हो, इसे हासिल करना हमारी सोच से ज्यादा मुश्किल होता हो

ख़ुश होना और ख़ुशी की तलाश करना दो अलग़ अलग़ चीजें है। ख़ुशी का मतलब हमें तब समझ में आता है जब जीवन में उदासी आ जाती है, जब जीवन का कोई विशेष अर्थ नहीं रह जाता। अक्सर जो चीज़ हमारे पास नहीं होती उसी की हमें तलाश होती है। हो सकता हो, इसे हासिल करना हमारी सोच से ज्यादा मुश्किल होता हो, लेकिन बात हासिल करने की नहीं बल्कि इसे बरक़रार रखने की है। दुनियाँ में जहाँ देखो वहाँ ग़म ही ग़म है। लोगों के चेहरे उदासी, परेशानी के काजल से रंगे हुए है। हर कोई एक दूसरे को ज्ञान दे रहा है उदासी को दूर करने के। असल में ये दूसरों की परेशानी, उदासी दूर करने के लिए नहीं बल्कि अपनी परेशानी को कुछ देर भुलाने की तरकीब है। हर किसी के उदासी, परेशानी की अपनी वज़ह है, अपने हालात है। मेरी परेशानी आपकी परेशानी नहीं हो सकती। लोग तो इस हद तक चले जाते की हर कोई एक दूसरे की सोच को बदलने में लगा है। असल में हम कभी किसी को नहीं बदल सकते। हर किसी के बदलने का अपना अलग व्यक्तित्व होता है। हाँ, हम ख़ुद में बदलाव कर सकते है और यही असली चुनौती है। अपने जीवन के आँधी तूफ़ान में ख़ुद को संभाल ले यही काफ़ी है। ख़ुद किसी तरह बचे रहे तो औरो को भी बचाया जा सकता है। हर किसी के जीवन में बदलाव तब आता है जब हम ये स्वीकार करते है की हम आज जैसे है, कल उससे बेहतर होने का प्रयास करेंगे। बेहतर होने का मतलब पैसा, गाड़ी, बंगला या भौतिकवादी चीजें नहीं। बेहतर होने का मतलब ख़ुद का मूल्य जानना, बेहतर होने का मतलब ख़ुद का स्वीकार।  क्योकि दूसरों से तुलना करने से कुछ हासिल नहीं होता। हम हमेशा हर किसी से उम्मीद लगाने के आदि हो चुके है, लेकिन उम्मीद एक सोच से ज्यादा कुछ नहीं है और जरुरी नहीं की हर सोच सही हो। 


जिंदगी हमेशा वैसी ही नहीं हो सकती, जैसा हम सोचते है, इसलिए जो हो रहा है उसे उसी रूप में स्वीकार करते आना चाहिए। असल में हमें स्वयं का ही स्वीकार करते आना चाहिए क्योकि अपने आप में ख़ुद से प्यार एक अनुभव है। ख़ुद का स्वीकार करने से बड़ी और कोई जीवित चीज़ नहीं है इस दुनिया में। हम सभी अक्सर इस बात से बहुत अधिक चिंतित है कि क्या दूसरा हमसे प्यार करता है या नहीं। हम Social Media पर मिलने वाले likes से भी इतने ज्यादा चिंतित रहते है उसका कोई हिसाब नहीं and just like that social media friendship. हमारा ऐसा करना या सोचना जायज़ है क्योंकि हम अपने खुद के प्यार, अपनी क़ीमत के बारे में आश्वस्त नहीं है। जीवन में ख़ुश रहना ये भी एक गुण है और यही जीवन का अर्थशास्त्र भी है। हमारे साथ दिक़्क़त ये है की  हमारे जीवन का शास्त्र  हम ख़ुद ही ग़लत तरीक़े से समझने में लगे हुए है। हम अपने जीवन के लिए दोष देते रहते है और ख़ुद को सज़ा देते रहते है। रही बात मरने की तो मरना सबको है, कम से कम अपने हिस्से की जिंदगी तो ठीक से जी ले। अगर जीवन में कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है तो घबराएं नहीं क्योकि रात हुयी है तो सबेरा भी जरुर होगा। बस सुबह का इंतजार होना चाहिए। सभी को जब अपने अपने हिस्से की धुप मिल जाएगी तो हम भी उसके हिस्सेदार होंगे। लेकिन ये हिस्सेदारी किताबों से नहीं जानी जा सकती। इसे ख़ुद के अनुभव से ही जाना जाता है। जब तक हम खुद से परिचित नहीं हो जाते, हमारा सारा ज्ञान बेकार है। हमारी डिग्रियाँ हो सकता हो लोगों को लुभाती हो, और हो सकता है हम ख़ुद भी इन्हें पाकर आनंदित होते हो, लेकिन सच तो ये है की इस आनंद से हम दूसरों को नहीं बल्कि ख़ुद को बेवकूफ़ बनाते है। मेरे अपने विचार से जो आदमी ख़ुद को जानता है वह बाहरी दुनियाँ में अपनी शिक्षा का दुरूपयोग कभी नहीं करेगा। 

  

कोई किताबी शिक्षा इंसान को जीवन जीना नहीं सिखाती। हो सकता है कि यह हमको बेहतर जीवन स्तर देती हो, लेकिन बेहतर जीवन स्तर बेहतर जीवन नहीं है। 'उम्र का अनुभव' भी हमारे यहाँ एक बहुत बड़ा मिथक है और हर जगह फ़ैला हुआ है। इतना ही नहीं वो बहुत गहराई के साथ फैला हुआ है। ये जरुरी नहीं के किसी की उम्र ज्यादा है तो उन्होंने जिंदगी को करीब से देखा होगा। ये भी जरुरी नहीं कि कोई आदमी बूढ़ा हो गया तो वह बहुत समज़दार है। अगर वाकई उम्र के साथ ज्ञान और अनुभव मिलता है तब तो सभी बुजुर्ग व्यक्तियों की हर मुद्दे पर सहमति होनी चाहिए। कुछ पारम्परिक बाते सही हो सकती है, लेकिन किसी बात का पांरपरिक होना उसे सही नहीं बना देता। केवल अनुभव किसी को ज्ञान नहीं देता। बहुत से किसान है जो 20 सालों से खेती कर रहे है, लेकिन वे organic farming के बारे में कुछ भी नहीं जानते क्योकि उन्होंने कभी नयी बातों पर प्रयोग ही नहीं किया।  बस वैसे ही खेती करते रहे जैसे बाकी लोग करते है। और आज सारी दुनियाँ Organic Food की दीवानी है इसलिए प्रयोग कीजिए। खुद को किसी और की पसंद में मत बांधिए। पसंद बदलनी चाहिए। हमारी प्रतिभा भगवान या किसी ईश्वर द्वारा नहीं भेजी जाती, यह केवल तब बनती है जब हम लगातार प्रयास करते रहते है। 


एक दिन आएगा जब किसी भी चीज़ का हमारे लिए कोई मतलब नहीं रहेगा। एक दिन सब चीजें हमारे लिए बिल्कुल व्यर्थ हो जाएगी। एक दिन हम ख़ुद अपने अतीत की छाया बनेगे। एक दिन इस दुनियाँ में हमारा कोई अस्तित्व नहीं रहेगा और हमारे स्थान पर कोई और होगा। लोग हमें सिर्फ कुछ दिनों तक ही याद करेंगे और उसके बाद भूल जायेंगे कि हमारे नाम का कोई व्यक्ति भी इस दुनिया में हुआ करता था। इसलिए अगर जिंदगी में कोई गलती हो गयी हो तो उसके अफ़सोस में अपनी जिंदगी जाया नहीं करनी चाहिए क्योंकि अफ़सोस करने के जिंदगी बहोत छोटी है। अफ़सोस हम सिर्फ जिंदगी जीते है, बिलकुल सामान्य जिंदगी, बिना ये सवाल किये कि हमारा जीवन भी परिपूर्ण हो सकता है। हमारा जीवन इतनी छोटी चीज़ है कि कभी कभी हम सोचते है कि उसे सार्थक बनाने के लिए कुछ भव्य चाहिए। पर ऐसा कुछ नहीं है, जीवन स्वयं अधिक बुद्धिमान, आत्म जागरुकता की और विकसित होता है। हमारा जीवन एक चिंगारी कि तरह छोटा है, जैसे ही हमारी जिंदगी बुझ जाती है, चिंगारी का प्रकाश भी बुझ जाता है। जीवन बिलकुल ऐसा ही है जैसे सबसे छोटी शाखा पर एक कमज़ोर फूल। शायद इसी लिए हमारा जीवन खिलता हुआ महसूस नहीं होता क्योकि जीवन का फूल ऐसे जगह पर खिला हुआ है जहाँ डाल कमज़ोर है और इस कमज़ोर डाल के जिम्मेवार हम ख़ुद है।  एक दिन यही कमज़ोर डाल बस यु ही सुख जाएगी। जीवन की यही चिंगारी इस डाल को जला देगी। जब यह चिंगारी बुझ जाती है, तो जो कुछ हमारे जीवन में अस्तित्व में था, वह अब केवल राख़ है, अब किसी भी डाली और फूल का कोई अस्तित्व नहीं।  


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