सिर्फ जिन्दा रहने को जीवन नहीं कहते


हमारा और सभी का जीवन स्वतंत्र हैं और सभी के जीवन में सब कुछ सामंजस्यपूर्ण रुप से मौजूद है। यही नहीं, सभी का जीवन उद्देश से भरा है। और ऐसा जीवन हमेशा प्रशंसा के योग्य होता है। लेकिन हम सभी बुराई की दुनिया में जीते है हालाँकि हम अच्छे की सराहना करने मे ज्यादा सक्षम है। लेकिन हम हमेशा बुराई को वास्तविक मानते
सिर्फ जिन्दा रहने को जीवन नहीं कहते 

हमारा और सभी का जीवन स्वतंत्र हैं और सभी के जीवन में सब कुछ सामंजस्यपूर्ण रुप से मौजूद है। यही नहीं, सभी का जीवन उद्देश से भरा है। और ऐसा जीवन हमेशा प्रशंसा के योग्य होता है। लेकिन हम सभी बुराई की दुनिया में जीते है हालाँकि हम अच्छे की सराहना करने मे ज्यादा सक्षम है। लेकिन हम हमेशा बुराई को वास्तविक मानते है और इसी वजह से सारी दुनिया बुराई से लड़ रही है जबकि बुराई अच्छे की अनुपस्थिति है; इसका अपने आप में कोई महत्त्व नहीं है । ये बिलकुल वैसा ही है जैसा हम सोचते है की अँधेरे का कोई अस्तित्व होगा। हमने अपना जीवन कुछ इसी तरीक़े से अब तक जिया है और जीवन में जो भी श्रेष्ठ्तम होना चाहिए उसके अस्तित्व को हमने मिटा दिया है। आप ये मत सोचिये की बहोत अच्छा जीवन हम जी रहे है। सिर्फ जिन्दा रहने को जीवन नहीं कहा जा सकता है। जीवन जीने के लिए जो कुछ भी विशिष्ट है, उसे लोगों को प्रेषित किया जाना चाहिए। और यही नहीं उन्हें दूसरों को भी उतना ही सम्मान देना चाहिए जैसा हम खुद के लिए चाहते है। फिर वो सम्मान चाहे हमाल के लिए हो, चाहे मज़दूर के लिए हो या फिर किसी नाली साफ़ करने वाले के लिए हो। अगर हम ये नहीं करते, मतलब हम कही न कही खुद को श्रेष्ठ दिखाने की कोशिश करते है। जो हम बिल्कुल नहीं है। हम सभी बहोत हद तक ये सोचते है की हमारी पढ़ाई या शिक्षा का प्रतिभा से कोई सीधा संबंध होगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक अनपढ़ भी प्रतिभावान हो सकता है और पढ़ेलिखे बेवकूफ़ तो हमारे चारों और भरे पड़े हैं। बशर्ते आपको उन्हें पहचानने की क्षमता हो। ये क्षमता तभी आ सकती है जब हम अपने जीवन को उस स्तर पर ले जाये।


जीवन को उस स्तर पर ले जाने के लिए हमें थोड़ा माइंडफुलनेस होना पड़ेगा। हमें अपने व्यक्तिगत सोच को थोड़ा आध्यात्मिक बनाना होगा। ये बदलाव हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। ये बदलाव हमें नए विश्वासों, दृष्टिकोण और अनुभवोंको नये तरीके से जीवन जीने का मौका देते है। हमें जरुरत है ऐसे ज्ञान की जो हमारी सोच से मिल कर हमें और आध्यात्मिक बना दे। और ये योग्यता सिर्फ उसी में होगी जो जीवन में सद्भावनात्मक दृष्टिकोण रखता हो। हम हमेशा ही ज्यादा आक्रामक रहे है और बहुत छोटी चीजों पर चिढ़ जाते है। मानव जीवन में सभी अपनी समस्या से झुज रहे है। इसी वज़ह से हम ज्यादा आनंदित नहीं होते। और धीरे धीरे हम अपनी आध्यात्मिक स्वतंत्रता को खो देते है। हालाँकि, हम सभी अनिवार्य रुप से आध्यात्मिक अनुभव के योग्य हैं। लेकिन हम उसे पाने से डरते है। हम एक ऐसे जीवन को खो देते है जो हमें अपने बारे में जानने का मौका देता है। और अगर हम अपने जीवन को भी नियंत्रित रुप से जीने से डरते है तो यक़ीन मानिये हम से बड़ा कायर कोई नहीं। और पूरी दुनियाँ ऐसे ही कायरों के साथ भरी पड़ी हैं। बात जरुर कड़वी हैं, पर सच्चाई कुछ ऐसी ही है। और सच्चाई आपके मेरे मानने या न मानने से बदल नहीं जाती। दुनियाँ का हर दूसरा आदमी आपको अपना दुःख सुनायेगा और हम भी बड़े मज़े से उसके दुःख को सुनते जाते है, हालाँकि दुनिया में किसी को भी किसी के दुःख से कोई लेना देना नहीं होता। क्योंकि हम खुद भी वही जिंदगी जी रहे होते है और मरते दम तक ऐसे ही जीते हैं।


माना जीवन में अनगिनत समस्याएं हैं, लेकिन बिना परेशानी के जीवन क्या होगा ? हां, खुश रहना जितना हम सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा कठिन हैं। और इसे हमने ख़ुद कठिन बनाया है। यदि हमारे पास इसे ठीक करने की क्षमता है तो हमें उसे ज़रुर ठीक करना चाहिए। लेकिन इसके लिए हमको ख़ुद को बदलने की निर्णय क्षमता होनी चाहिए। इस बदलाव के लिए क़ीमत चुकानी पड़ती है क्योकि जीवन अमूल्य है। हम अपने पुरे जीवन में ये कभी नहीं पूछते कि क्या हमारे लिए महत्वपूर्ण है और क्या हम सच में अपने जीवन का कुछ मूल्य चूकाते है ? हमारे सभी के जीवन की कुछ बुनियादी विशेषताएँ हैं। उसे थोड़ा समझने की कोशिश करें। क्योकि हम ख़ुद को छोड़ कर सारी दुनियाँ को जानते है। हम अपने व्यक्तित्व को उस ऊंचाई पर तभी ले जा सकते है जब हम दूसरों से भी परिचित हो। हम दूसरे को भी उतना ही सन्मान दे। ये सन्मान हम तभी दे सकते है जब हमारी चेतना सभी बाहरी धारणाओं के प्रति जागरूक हो। हमारे जीवन का मूल्य इसी बात पर निर्भर करता है कि नाराजगी की तुलना में हम कितनी खुशियों को देखते है। हमें अपने जीवन की सोच को बुद्धि के निचले स्तर से शुरू नहीं करना चाहिए और अगर हम ऐसा करते है तो हम शुद्ध रुप से जानवर या पशु का जीवन जीते है । फिर हमारे इंसान होने का मतलब क्या ?


दोस्तों, ये ब्लॉग पोस्ट मेरे अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर लिखा गया है। ये उन अनुभवों के आधार पर लिखा गया है जहां हमारी सोच सिमित हो जाती है। ये पोस्ट एक प्रयास है उन दोस्तों के लिए जो जीवन की तलाश करने की हिम्मत रखते है। जीवन में कुछ पाना और ख़ुद जीवन को पाना दोनों अलग़ चीजें हैं। ये पोस्ट उसी बात को समझाने का छोटा सा प्रयास है कि आप इस पर थोड़ा चिंतन करें। हो सकता हो ये ब्लॉग पोस्ट आपको शायद समझ में ना आये और जरुरी भी नहीं है कि आप इस पोस्ट से सहमत हो। लेकिन, आप इसके बारे में सोचे और जरुर सोचें। अगर सच में ठीक लगे तो अपने जीवन में उतारने की कोशिश करे और दूसरों को प्रेरित करें। आप दूसरों को प्रेरित करने के लिए इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों से शेयर करे। आप LIFOMETRY के सन्माननीय सदस्य के रुप में हमें follow करें। आप अपने बहुमूल्य सुझाव देकर हमें और प्रोत्साहित करे।


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