फ़िर तुझे याद कर रहा हूँ

कैसे  बयां करु तुमसे .............!! आँखों के आईने पर तुम्हारे यादों की परछाईं छा रही हैं और
प्यार के एहसास की खुशबू दिल में उड़ रहीं हैं । तेरे दिल के ओठों से अब ये जिंदगी मुस्कुरा उठी है।  मैं महसुस करता हूँ तुम्हें अब ख़्वाबों में लेकिन मैं अक़्सर सोच में पड़ जाता हूँ कैसे तुम्हे ये सब बताऊ। मैं लाख़ कोशिश करता हूँ  तेरे यादों को जुबाँ  देने की लेकिन अफ़सोस अल्फ़ाज़ ही नहीं मिलते। अब हालात तो ऐसे हैं  कि इसी कश्मकश में जीने की आदत हो गयी हैं।

तेरे यादोँ की इसी कश्मकश में मेरी सारी मुद्दतें ख़ामोश बैठी हैं ......... शायद मुद्दतों से। इन्हीं सारी ख़ामोश यादोँ  को दिल के किसी अँधेरे कोने में छुपाये बैठा हूँ। अँधेरा ही सही, पर कभी कभी रौशनी का ना होना भी अच्छा लगता हैं। तेरी याँदे ही तो हैं जो मेरे दिल के करीब हैं, मेरे अपने हैं, वरना दुनिया में सदियाँ गुजर जाती हैं किसी को अपना बनाने मे और एक पल भी नहीं लगता किसी से दूर जाने में। हाँ, तेरे पास ना होने का ग़म ज़रूर हैं और ये दर्द हैं जो अनकहा हैं, पर ये यकीं हैं मुझको  कि ये दर्द तुम्हें भी सताता होगा।  हम भी कभी तुमको तन्हाइयों मे याद ज़रुर आते होंगे।  

ऐसे आवारा यादोँ को समेटे हुए फ़िर तुझे याद कर रहा हूँ। याद कर रहा हूँ  तेरे प्यार की छाँव को, जिसने मेरी मुश्किलों की धूप को सहा हैं । हाँ, पता हैं  मुझे कि अनजान रास्तों पर ग़म बहुत हैं, पर ग़म की बिसात क्या जहाँ तुम्हारा साथ बहुत हैं।  ये सिर्फ और सिर्फ तेरे प्यार की सौगात हैं, जहाँ  तेरे  यादों के चाँद तारे, प्यार की चांदनी मुझ पर निछावर हैं और इसी दुआओँ से मेरे ख़्वाब सजे हैं । ये तेरे प्यार का जादू हैं जो मेरे हर रात को जश्न सा बना देता हैं । तेरे प्रीत का ये नूर उम्र भर मुझ पर बस यु ही बरसता रहे।  

तेरे साथ बिताये हुए वो लम्हें अब गुजर चुके हैं फिर भी एक बार तो आ कर देखो, सितारों की चमकती हुयी धुप  खिली है।  एक बार फिर से उन्हीं बिखरे खाव्बों को तुम्हारे साथ सजाना चाहता हूँ। तेरी खामोशीयों से अब मुझे कोई गिला नहीं  होगा  लेकिन फ़िर भी  उम्र भर यू ही तेरे खाव्बों को सजाता रहूँगा, गीत बनकर तेरे औँठो से गुनगुनाता रहूँगा। कहने को बहोत कुछ हैं लेकिन अपनी दास्ता कैसे किसी को सुनाए?  अब तो आलम ये हैं  की खुद ही सुनते हैं और ख़ुद ही सुनाते हैं और ये सवाल करता हूँ खुद से क्यों जिस दिल ने तुझे इतना सताया था उसी दिल की धड़कन बन कर तू मुझमें समाती हैं। 

कसूर हैं  मेरा, बरसो से मैंने तुझे अपनी आँखों में आँसू की तरह सब से छुपा के रखा हैं,  पर ये कमबख़्त ख़्वाब हैं जो आँखों से उतरकर  दिल में बस गए हैं।  उन्हीं ख़्वाबों को तूने पढ़ा हैं जिन्हें मैं बयां नहीं कर पाया। मेरे ख़्वाबों को अपनी आँखों से पढ़ना बहुत हैं। तेरी सारी बातें अब मेरे दिल की गहराई में  उतरने लगी है, दिल की तन्हाई अब मोहब्बत में बदलने लगी है।  सोचता हु क्यों इतना प्यार हैं मुझको  ? और  क्या चाहु मैं तुमसे, बस एक फ़रियाद हैं ...... मुझे अपना बना लो........ अपना अल्फ़ाज़ बना लो ......... मुझे अपना ख़्वाब बना लो क्योकि तुम मेरे जीवन का हक़ीक़त सा कोरा पन्ना हो।  तुम मेरे दिल की उमंग हो।    




4 comments:

  1. Replies
    1. Thanks for your comment. Your comment help me to boost up for more interesting and inspirational writing in future.

      Delete
  2. Replies
    1. I really admire your comment. thanks for connected with LIFOMETRY.

      Delete

IFRAME SYNC