Mother's Day : Honoring Maternal Bonds

अपने जीवन को किसी और के जीवन के लिए दांव पर लगाने की शर्त किसी जुँआ से कम  खतरनाक नहीं हैं । और बड़े हैरानी की बात हैं की पूरी दुनिया में ये जुँआ सिर्फ और सिर्फ स्त्री ही लगा सकती हैं।  दुनिया के किसी भी पुरुष में वो साहस नहीं होता  हैं। और शायद इसीलिए प्रकृति ने सिर्फ स्त्रियों को ही माँ बनने का सौभाग्य दिया है। जो वेदना, दर्द, तकलीफ़ को स्त्रियाँ माँ बनने की प्रक्रिया में सहन करती है उस अहसास को कोई भी पुरुष कभी भी महसूस नहीं कर सकता। ये  बिलकुल ही आतंरिक अनुभूति होती हैं, जिसे  सिर्फ और सिर्फ स्त्रियाँ ही जान सकती है। ये अद्भुत चमत्कार सिर्फ स्त्रियों द्वारा ही हो सकता हैं।  दोस्तों, क्या कभी आपने सोचा हैं जिस दिन हम पैदा होते हैं, क्या सिर्फ हम ही पैदा होते हैं ? सच ये है की हमारे जन्म के साथ एक माँ का भी जन्म होता हैं।  इसके पहले "माँ " कभी भी अस्तित्व मे नहीं होती, वो सिर्फ एक स्त्री होती हैं।  माँ का जन्म भी हमारे जन्म के साथ जुड़ा है। और इसिलिये पूरी दुनिया में "माँ" शब्द  ही  नहीं  बल्कि हमारे जीने का आधार होता हैं।  

किसी अणु सा अस्तित्व लेकर हम अपने होने का सफर शुरु करते हैं।  गर्भ में समाये बीज़ को माँ न जाने कैसे अंकुरित करती हैं ? हो सकता है की प्रकृति शायद स्त्रियों को विशेष प्राणों की पूर्ति करती हों। ये सच भी हो क्योकि की हम धरती को भी युहीं माँ नहीं कहते। एक दिन कभी हम पैदा होते हैं कोख़ में  । अस्तित्वहीन किसी चीज़ को अचानक प्राण मिलना शुरू हो जाता है | और माँ की कोख़ में प्रकृति जीवित हो जाती है, और अपना अलग अस्तित्व लेकर हम इस दुनिया में आते हैं | धीरे धीरे हम छोटेसे बड़े होते चले जाते हैं | उल्लेखनीय रूपसे हम सभी को एक प्यार करने वाली माँ का आशीर्वाद प्राप्त हैं | लेकिन बचपन के समय में हमें माँ के उस दर्द का जरा भी अहसास नहीं होता है | लेकिन उस अहसास की डोर ताउम्र हमारे साथ जुडी होती हैं, चाहे माँ हमारे साथ हो या ना हो | जैसे जैसे हम बड़े होते हैं, हम इसे कदम कदम पर महसूस करते हैं । हम बड़े होते हैं, हमारी सभी आवश्यकताएँ एक व्यक्ती यानी पिता द्वारा पूरी होती हैं। माँ परिवार की हर जिम्मेदारी लेती हैं। अब हम परिपक़्वता की उम्र में पहुँच जाते हैं। इस बीच, हम अपनी लगभग सभी शैक्षणिक योग्यता अर्जित कर लेते हैं और अपनी नयी जिंदगी की शुरुवात करने की राह पर निकल पड़ते हैं। 

अब, हमारे जीवन की नयी यात्रा हमारे अपने परिवार के लिए जिम्मेदारियों से भरी हुई हैं। परिवार के लिए रोटी, कपडा और मकान की व्यवस्था करते हुए हम थक जाते हैं, चिढ़ जाते हैं। जिंदगी बोझ लगने लगती हैं। दिन बीतने के बाद, जब हम अपने अतीत के बारे में सोचते है, तो हम महसूस करते हैं जीवन में कई चरण होते हैं जब हमें माँ के समर्थन और प्यार की बहुत आवश्यकता होती हैं। बस युहीं फ़िर आँखों  में  सिनेमाई दॄश्य चलता हैं जब माँ ने कठिन समय में हमारा साथ दिया था।  हमारे भविष्य और बेहतर जीवन स्तर को लेकर कैसे परेशान रहती थी।  कैसे वह हमारे लिए सहज और सुन्दर जीवन शैली के लिए कुछ अलग सोचती हैं। हमारे कंधो पर अपार जिम्मेदारियां हैं। इस तरह की जिम्मेदारियों को शानदार तरीके से बनाये रखना हर बेटे और बेटी का कर्त्तव्य हैं।  माँ जो भी करती है, वह सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चो के लिए ही करती हैं। वह हमेशा अपने बच्चों को सही तरीके से रखना चाहती हैं।  वह हमेशा अपने बच्चो को दुनिया की सारी खुशियाँ देने की कोशिश करती हैं।  माँ आपको एक पँछी की तरह अपने पंखों नीचे सुरक्षित रखती हैं। माँ इस ग्रह पर सबसे खूबसूरत व्यक्तित्व होती हैं। कोई स्त्री कितनी ही कुरूप क्यों न हों पर उसके बच्चों को पूरी दुनिया में उससे खूबसूरत दूसरा कोई व्यक्ति नहीं होता हैं। इतना आतंरिक लगाव माँ को छोड़कर किस चीज़ से होता है भला ? क्योकि हम माँ के साथ संलग्न हैं, हमारे न होने के अस्तित्व को माँ ने जिन्दा रखा था। और शायद यही चीज़ माँ को भगवान का दर्जा देती हैं। जरा उस दर्द की कल्पना करें जिसके माध्यम से वह अपने बच्चे को गर्भ में ले जाने के दौरान गुजरती थीं। माँ उस दर्द को बड़े आनंद के साथ स्वीकार करती हैं। माँ के लिए उस अनजाने प्रेम के लिए कोई नियम और सीमाएँ नहीं होती। ये सच्चाई है की इस दुनिया में हर सफल आदमी, माँ की शुभकामनाओं के कारण ही उस स्तर पंहुचा हैं। माँ जीवन भर अपने बच्चो के साथ खड़ी रहती हैं और उसे सिखाती है की किस तरह से कदम रखना चाहिए। आपको उसके जैसा ट्रेनर कभी नहीं मिलेगा। माँ की पवित्रता कभी भी अतिरंजित नहीं हो सकती।  


माँ का मातृत्व सबसे परिवर्तनकारी प्रभाव है।  कहते है की मरते दम तक अगर बच्चा परदेश से घर न आ सका तो अपनी सारी दुवाएँ चौख़ट पे छोड़ जाती है माँ। ज़िन्दगी के सफर में जब कोई साया नहीं मिलता तो तब बहोत याद आती है माँ।  मेरा ये यकींन है दोस्तों, की मैंने और शायद किसी ने भी इस ज़मीन पर भगवान, अल्लाह या ख़ुदा को कभी नहीं देखा होगा, और जो कहता है, झूठ कहता हैं। वो हर बंदा जो भगवान को या अल्लाह को मानता हैं, सिर्फ और सिर्फ माँ को मानता हैं, सिर्फ कहने से डरता होगा।  अब, यह वह समय है जब हर बच्चे को अपनी माँ की भलाई की देखभाल करनी चाहिए।  किसी भी परिस्थितियोँ में उसे खुश रखने की कोशिश करें।  जब बच्चा बड़ा होता है तो उसकी माँ बूढी हो जाती हैं, उसे अब आराम या प्यार की जरुरत है जो उससे बहुत दूर था। एक बेटा या बेटी होने के नाते सभी को उसे न्युनतम देने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, आपका प्यार बहुत मायने रखता हैं। माँ हर परिवार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उसके बिना परिवार पूरी तरह से अधूरा है। अपनी माँ को उपहार स्वरुप कुछ देने का सबसे अच्छा तरीका उन आदर्शो को जीना हैं  जो उसने हमारे लिए सपने देखे थे।  हर माँ अपने बच्चे के लिए सपने देखती है और शायद यही उसके जीवन का उद्देश्य भी होता हो, जिसे हम उसे लौटा सकते हैं। माँ दुनिया की किसी भी भाषा का सबसे मुलायम और खूबसूरत शब्द है। हमारा पहला प्यार माँ ही होती हैं। हम उसके रक्त, अस्थियोँ, भावनाओँ और आत्मा के हिस्से हैं। जीवन का सबसे पहला स्पर्श माँ का ही होता हैं।  सबसे पहला चुंबन भी माँ का ही होता हैं और पहला आलिंगन भी।  पहली गोद माँ की, जो अजनबी दुनिया में आँख खोलने के बाद सुरक्षा, कोमलता, ममता और बेपनाह आत्मीयता के अहसास से भर देता हैं।  बड़े मजे की बात हैं की हमें पहली भाषा माँ सिखाती हैं और शायद इसीलिये हम जो पहला शब्द जो बोलते हैं, वह होता है माँ।  माँ की गोद से दूर हो जाने के बाद जीवन भर हम माँ की तलाश ही तो करते हैं - बहनों में, प्रेमिका में, पत्नी में, मित्रों में, कल्पनाओं में बनी स्त्री छवियों में।  एक आधी अधूरी, टुकड़ो में बँटी, कभी न ख़त्म होने वाली तलाश जो कभी पूरी नहीं होती।  पूरी हो भी कैसे ? माँ के जैसा कोई दूसरा होता भी तो नहीं।  

आप भाग्यशाली हैं अगर आपको थामने, आपकी फ़्रिक करने और अपनी हर साँस में आपके लिए दुआ माँगने वाली एक माँ आपके पास मौज़ूद हैं । कुछ अभागे लोग माँ को खो देने के बाद ही समझ पाते है कि उन्होंने खोया क्या हैं।  माएं तो हर उम्र में वैसी की वैसी ही होती हैं - अपनी संतानो के लिए बांहें पसारे हुए। एक उम्र  बाद अपना बचपन और मासूमियत गंवा चुके हम लोगों के लिए हर दिन माँ के आगोश में समां जाना आसान नहीं होता। मैं उन सभी माँओ के प्रति अपना  प्यार और आभार व्यक्त करने का अवसर लेता हु ।  हम वास्तव में माँ के बिना कुछ भी नहीं हैं।  दोस्तों, हम मदर्स डे मनाते हैं। जिस माँ ने हमारे लिए अपना पूरा जीवन समर्प्रित कर दिया हो, उसके लिए सिर्फ एक दिन का उत्सव ? जाहिर हैं बूढ़ी हो चुकी माँ अपने बच्चे से कुछ अच्छी इच्छाओं की उम्मीद करेगी, लेकिन कभी कभी हम अपने व्यस्त जीवन में  इन न्यूनतम चीज़ो को करना भूल जाते  है।  शायद वही चीज हमारे जीवन में भी हो सकती हैं या दोहरा सकती हैं।  इसीलिए हमें खुद को उस स्थिति में रखना चाहिए और स्थिति के बारे में सोचना चाहिए।  आईये इस दिन को अपनी माँ के लिए अधिक यादगार और प्यारा बनाने के लिए कुछ बेहतरीन और अद्भुत योजनायें बनाएं।  आज 'मदर्स डे' बहाने ही सही, एक बार फिर माँ के गले लगकर देखिये।  नहीं हैं माँ तो उसकी यादों से लिपट कर जाऱ -जाऱ रो लीजिये।  यकींन मानिये, ज़िंदगी का हर ज़ख्म भर जाएगा।  

उम्मीद है आपको मेरा मातृत्व के प्रति ये प्रयास जरूर पसंद आएगा।  मैं जानता हु, आप सभी अपनी 'माँ' से बहोत प्यार करते हैं।  माँ के सम्मान के प्रति इसे ज्यादा से ज्यादा अपने सोशल मीडिया पर शेयर करे और खुद को गौरवान्वित महसूस करे।  मंगल मृदल कामनाओँ सहीत।  




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